हिन्दी कविता
जब तक चमके चाँद
हर शाम ढले सूरज ढलता
जिंदगी के हम सफ़र पर
कविता
माँझी रे नैय्या सम्भाल
धीरे धीरे चल रे पथिक तू
जब तक चमके चाँद
हर शाम ढले सूरज ढलता
जिंदगी के हम सफ़र पर
कविता
माँझी रे नैय्या सम्भाल
धीरे धीरे चल रे पथिक तू
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